Ravan ko shrap (curse) kyu mila
इस समय दूरदर्शन पर रामायण (Ramayan) सीरियल की धूम मची हुई है। सभी लोग बड़े भक्ति भाव से रामायण को देख रहे हैं। रावण सीता जी को बलपूर्वक हरण तो करके ले आता है लेकिन वह उन्हें अपना नहीं बना पाता! वह बार-बार सीता जी से उसे स्वीकार करने के लिए आग्रह करता है , प्रणय निवेदन करता है, किंतु बलपूर्वक ऐसा नहीं कर पाता।
रामायण में बार-बार यह जिक्र आता है कि वह एक श्राप के कारण ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि अगर वह ऐसा करेगा यानी किसी भी पर-स्त्री को बलपूर्वक,उसकी सहमति के बिना अपना बनाना चाहेगा या उसका शीलभंग करेगा तो उसके सिर के सात टुकड़े हो जाएंगे लेकिन क्या आप जानते हैं वह प्रसंग क्या है? किस ने उसे श्राप दिया था और क्यों दिया था? इस प्रसंग का वाल्मीकि-रामायण (जो कि सभी राम कथाओं का आधारभूत मानी जाती है) में उल्लेख किया गया है जबकि रामचरितमानस में इसका विस्तृत उल्लेख नहीं है। चलिए आज हम आपको इस बारे में बताते हैं।
रावण के पिता का नाम ऋषि विश्वश्रवा और माता का नाम कैकसी था। कैकसी, विश्वश्रवा की दूसरी पत्नी थीं। इससे पहले उनकी शादी इलाविडा थी, जिनसे रावण से पहले कुबेर का जन्म हुआ (जी हां, वही कुबेर जोकि धन संपदा के स्वामी कहीं जाते हैं) इस तरह रावण और कुबेर आपस में सौतेले भाई थे।
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कुबेर के पुत्र का नाम नल कुबेर था। एक बार जब रावण समस्त पृथ्वी पर विजय प्राप्त करता हुआ स्वर्ग पर भी विजय प्राप्त करने के लिए पहुंच गया तो वहां अप्सरा रंभा को देखकर वह लालायित हो उठा। वह उन्हें बलपूर्वक अपना बनाने की कोशिश करने लगा। रंभा, जोकि नल-कुबेर की प्रेमिका थी और उनके लिए पहले से ही आरक्षित थी ,उन्होंने उसे बहुत समझाया कि मैं आपके पुत्रवधू के समान हूं।कृपा कर आप मुझ पर कुदृष्टि ना डालें। किंतु रावण नहीं माना और बलपूर्वक उनका शील-भंग किया। इस सबसे क्रोधित होकर नल कुबेर ने रावण को श्राप दिया था कि अगर अब उसने किसी भी पर-स्त्री पर कुदृष्टि डाली और बलपूर्वक उसके शील को भंग करने का प्रयास किया तो उसके सिर के सात टुकड़े हो जाएंगे।
यही कारण है कि उसके नगर और महल में रहते हुए भी वह सीता जी को स्पर्श तक ना कर सका।