हिंदू धर्म के अनुसार, नवरात्रि ( navratri ka prarambh) का आगमन वर्ष में दो बार होता है। पहला चैत्र माह में और दूसरा आश्विन माह में। चैत्र माह के नवरात्रि का प्रारंभ, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है तथा इस बार 25 मार्च 2020 से नवरात्रि का प्रारंभ हो रहा है। ध्यान देने वाली बात यह है कि ऐसे तो प्रतिपदा तिथि 24 मार्च दोपहर 2:57 से प्रारंभ हो रही है लेकिन उदया तिथि का महत्व अधिक होने से 25 मार्च 2020 से नवरात्रि का प्रारंभ होगा। 25 मार्च 2020 को प्रतिपदा तिथि शाम 5:28 तक रहेगी अतः इसी समय में नौ देवी में प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाएगी ।
सबसे अच्छी बात यह है कि इन नवरात्रि में किसी भी तिथि का क्षय नहीं है। भक्त गण देवी मां के सभी नौ स्वरूपों ( nav durga pooja ) की पूजा 9 दिन तक कर सकेंगे।
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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त (shubh muhurt)एवं दिशा :
25 मार्च 2020 यानी चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन ही कलश स्थापना की जाएगी। इस का शुभ मुहूर्त सुबह 6:19 से 7:17 तक है।
कलश स्थापना घर के ईशान कोण (पूर्व व उत्तर के बीच का स्थान) को धार्मिक क्रियाओं और पूजा करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है अतः ईशान कोण घट स्थापना के लिए श्रेष्ठ दिशा है। इसके अलावा पूर्व तथा उत्तर दिशा भी घट स्थापना के लिए शुभ है।
- कलश (kalash) स्थापना की विधि:
कलशस्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लेना चाहिए। एक लकड़ी का फट्टा रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाना चाहिए। इस कपड़े पर थोड़ा- थोड़ा चावल रखना चाहिए। चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करना चाहिए। एक मिट्टी के पात्र (छोटा समतल गमला) में जौ, बोना चाहिए। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करना चाहिए। कलश पर रोली से स्वस्तिक या ऊं बनाना चाहिए। कलश के मुख पर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए। कलश में सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखने चाहिए। कलश के मुख को ढक्कन से ढंक देना चाहिए। ढक्कन पर चावल भर देना चाहिए। एक नारियल ले उस पर चुनरी लपेटकर रक्षा सूत्र से बांध देना चाहिए। इस नारियल को कलश के ढक्कन पर रखते हुए सभी देवताओं का आवाहन करना चाहिए। अंत में दीप जलाकर कलश की पूजा करनी चाहिए। कलश पर फूल और मिठाइयां चढ़ाना चाहिए।
कलश स्थापना का महत्व : घर में कलश स्थापना से सकारात्मकता आती है परेशानियां दूर होती हैं और शुभता और समृद्धि का आगमन होता है। कलश स्थापना के बाद पूजा गृह में 9 दिनों तक अखंड ज्योति जलाने का विधान है।माना जाता है ऐसा करने से मां सभी भक्तों की प्रार्थनाओं को सुनती हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।